माता रानी अपने सभी भग्तोँ के चोखट पर अपने भग्तोँ का दुख होते हुए ओर उंको आश्रीवाद देते हुए हमारे उत्तराखंड मे ये नजारा
देवो के देव महाकाल की काली, काली से अभिप्राय समय अथवा काल से है. काल वह होता है जो सब कुछ अपने में निगल जाता है. व काली भयानक एवं विकराल रूप वाले श्मशान की देवी. वेदो में बताया गया है की समय ही आत्मा होती है तथा आत्मा को ही समय कहा जाता है.
माता काली की उत्तपति धर्म की रक्षा हेतु हुई व पापियों के सर्वनाश के करने के लिए हुई है. काली माता 10 महाविद्याओ में से एक है तथा उन्हें देवी दुर्गा की महामाया कहा गया है.
कलियुग में तीन देवता है जागृत :- कलियुग में तीन देवता को जागृत बताया गया है हनुमान, माँ काली एवं काल भैरव . माता काली का अस्त्र तलवार तथा त्रिशूल है व माता का वार शक्रवार है. माता काली का दिन अमावश्या कहलाता है, माता काली के चार रूप है 1 . दक्षिण काली 2 . श्मशान काली 3 . मातृ काली 4 . महाकाली. माता काली की उपासना जीवन में सुख, शान्ति, शक्ति तथा विद्या देने वाली बताई गई है.
माता काली के दरबार की विशेषता :- हमारे हिन्दू सनातन धर्म में बताया है की कलयुग में सबसे ज्यादा जगृत देवी माँ काली होगी. माँ कालिका की पूजा बंगाल एवं असम में बहुत ही भव्यता एवं धूमधाम के साथ मनाई जाती है. माता काली के दरबार में जब कोई उनका भक्त एक बार चला जाता है तो हमेशा के लिए वहां उसका नाम एवं पता दर्ज हो जाता है.माता के दारबार में यदि दान मिलता है तो दण्ड भी प्राप्त होता है.
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